Prince Sharma

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Prince Sharma

A Focused in moving businessman forward through thought leadership and hard work. He is a Successful serial entrepreneur with ability to develop visionary ‘next-level’ ideas and deliver to marketplace while meeting end-user needs with precision timing. Solid background of thorough Economics knowledge developed around strategic observations and business intelligence. Experience with all aspects of operations including human resource management, organizational process development and infrastructure expansion geared towards driving growth and revenues for profitability. He always looking for talented, fearless people who want to be a part of something bigger than themselves. Let's connect and see if there's synergy!

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  • ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी।

    ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी।

    *एक सुन्दर कहानी....*☝
    दो मिनट समय निकालकर अवश्य पढें

    एक बहुत ही श्रीमन्त उद्योगपति का पुत्र कॉलेज में अंतिम वर्ष की परीक्षा की तैयारी में लगा रहता है,
    तो उसके पिता उसकी परीक्षा के विषयमें पूछते है तो वो जवाब में कहता है की हो सकता है कॉलेज में अव्वल आऊँ,

    अगर मै अव्वल आया तो मुझे वो महंगी वाली कार ला दोगे जो मुझे बहुत पसन्द है..
    तो पिता खुश होकर कहते हैं क्यों नहीं अवश्य ला दूंगा.
    ये तो उनके लिए आसान था. उनके पास पैसो की कोई कमी नहीं थी।

    जब पुत्र ने सुना तो वो दुगुने उत्साह से पढाई में लग गया। रोज कॉलेज आते जाते वो शो रुम में रखी कार को निहारता और मन ही मन कल्पना करता की वह अपनी मनपसंद कार चला रहा है।
    दिन बीतते गए और परीक्षा खत्म हुई। परिणाम आया वो कॉलेज में अव्वल आया उसने कॉलेज से ही पिता को फोन लगाकर बताया की वे उसका इनाम कार तैयार रखे मै घर आ रहा हूं।
    घर आते आते वो ख्यालो में गाडी को घर के आँगन में खड़ा देख रहा था। जैसे ही घर पंहुचा उसे वहाँ कोई कार नही दिखी.
    वो बुझे मन से पिता के कमरे में दाखिल हुआ.
    उसे देखते ही पिता ने गले लगाकर बधाई दी और उसके हाथ में कागज में लिपटी एक वस्तु थमाई और कहा लो ये तुम्हारा गिफ्ट।
    पुत्र ने बहुत ही अनमने दिल से गिफ्ट हाथ में लिया और अपने कमरे में चला गया। मन ही मन पिता को कोसते हुए उसने कागज खोल कर देखा उसमे सोने के कवर में रामायण दिखी ये देखकर अपने पिता पर बहुत गुस्सा आया.. 
    लेकिन उसने अपने गुस्से को संयमित कर एक चिठ्ठी अपने पिता के नाम लिखी की पिता जी आपने मेरी कार गिफ्ट न देकर ये रामायण दी शायद इसके पीछे आपका कोई अच्छा राज छिपा होगा.. लेकिन मै यह घर छोड़ कर जा रहा हु और तबतक वापस नही आऊंगा जब तक मै बहुत पैसा ना कमा लू।और चिठ्ठी रामायण के साथ पिता के कमरे में रख कर घर छोड कर चला गया।
    समय बीतता गया..
    पुत्र होशयार था होनहार था जल्दी ही बहुत धनवान बन गया.   शादी की और शान से अपना जीवन जीने लगा कभी कभी उसे अपने पिता की याद आ जाती तो उसकी चाहत पर पिता से गिफ्ट ना पाने की खीज हावी हो जाती,  वो सोचता माँ के जाने के बाद मेरे सिवा उनका कौन था इतना पैसा रहने के बाद भी मेरी छोटीसी इच्छा भी पूरी नहीं की.
    यह सोचकर वो पिता से मिलने से कतराता था।
    एक  दिन उसे अपने पिता की बहुत याद आने लगी.
    उसने सोचा क्या छोटी सी बात को लेकर अपने पिता से नाराज हुआ अच्छा नहीं हुआ.
    ये सोचकर उसने पिता को फोन लगाया बहुत दिनों बाद पिता से बात कर रहा हु.
    ये सोच धड़कते दिल से रिसीवर थामे खड़ा रहा.
    तभी सामने से पिता के नौकर ने फ़ोन उठाया और उसे बताया की मालिक तो दस दिन पहले स्वर्ग सिधार गए और अंत तक तुम्हे याद करते रहे और रोते हुए चल बसे.
    जाते जाते कह गए की मेरे बेटे का फोन आया तो उसे कहना की आकर अपना व्यवसाय सम्भाल ले.
    तुम्हारा कोई पता नही होनेसे तुम्हे सूचना नहीं दे पाये।
    यह जानकर पुत्र को गहरा दुःख हुआ और दुखी मन से अपने पिता के घर रवाना हुआ.
    घर पहुच कर पिता के कमरे जाकर उनकी तस्वीर के सामने रोते हुए रुंधे गले से उसने पिता का दिया हुआ गिफ्ट रामायण को उठाकर माथे पर लगाया और उसे खोलकर देखा.
    पहले पन्ने पर पिता द्वारा लिखे वाक्य पढ़ा जिसमे लिखा था "मेरे प्यारे पुत्र,  तुम दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करो और साथ ही साथ मै तुम्हे कुछ अच्छे संस्कार दे पाऊं..  ये सोचकर ये रामायण दे रहा हु",
    पढ़ते वक्त उस रामायण से एक लिफाफा सरक कर नीचे गिरा जिसमे उसी गाड़ी की चाबी और नगद भुगतान वाला बिल रखा हुआ था।
    ये देखकर उस पुत्र को बहुत दुख हुआ और धड़ाम से जमींन पर गिर रोने लगा।
    हम हमारा मनचाहा उपहार हमारी पैकिंग में ना पाकर उसे अनजाने में खो देते है।
    पिता तो ठीक है.
    इश्वर भी हमे अपार गिफ्ट देते है,  लेकिन हम अज्ञानी हमारे मनपसन्द पैकिंग में ना देखकर, पा कर भी खो देते है।
    हमे अपने माता पिता के प्रेम से दिये ऐसेे अनगिनत उपहारों का प्रेम का सम्मान करना चाहिए और उनका धन्यवाद करना चाहिये।
    मेरी बात अगर आपके हृदय को छुई हो तो इस मेसेज को आप चाहो तो अपनों को शेयर करो.
    हो सकता है और कोई पुत्र ऐसे ही अपने पिता के गिफ्ट से वंचित ना रहे उनके प्रेम से वंचित ना रहे।।
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