Prince Sharma

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Prince Sharma

A Focused in moving businessman forward through thought leadership and hard work. He is a Successful serial entrepreneur with ability to develop visionary ‘next-level’ ideas and deliver to marketplace while meeting end-user needs with precision timing. Solid background of thorough Economics knowledge developed around strategic observations and business intelligence. Experience with all aspects of operations including human resource management, organizational process development and infrastructure expansion geared towards driving growth and revenues for profitability. He always looking for talented, fearless people who want to be a part of something bigger than themselves. Let's connect and see if there's synergy!

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  • ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी।

    ये कहानी आपकी जिंदगी बदल देगी।

    *एक सुन्दर कहानी....*☝
    दो मिनट समय निकालकर अवश्य पढें

    एक बहुत ही श्रीमन्त उद्योगपति का पुत्र कॉलेज में अंतिम वर्ष की परीक्षा की तैयारी में लगा रहता है,
    तो उसके पिता उसकी परीक्षा के विषयमें पूछते है तो वो जवाब में कहता है की हो सकता है कॉलेज में अव्वल आऊँ,

    अगर मै अव्वल आया तो मुझे वो महंगी वाली कार ला दोगे जो मुझे बहुत पसन्द है..
    तो पिता खुश होकर कहते हैं क्यों नहीं अवश्य ला दूंगा.
    ये तो उनके लिए आसान था. उनके पास पैसो की कोई कमी नहीं थी।

    जब पुत्र ने सुना तो वो दुगुने उत्साह से पढाई में लग गया। रोज कॉलेज आते जाते वो शो रुम में रखी कार को निहारता और मन ही मन कल्पना करता की वह अपनी मनपसंद कार चला रहा है।
    दिन बीतते गए और परीक्षा खत्म हुई। परिणाम आया वो कॉलेज में अव्वल आया उसने कॉलेज से ही पिता को फोन लगाकर बताया की वे उसका इनाम कार तैयार रखे मै घर आ रहा हूं।
    घर आते आते वो ख्यालो में गाडी को घर के आँगन में खड़ा देख रहा था। जैसे ही घर पंहुचा उसे वहाँ कोई कार नही दिखी.
    वो बुझे मन से पिता के कमरे में दाखिल हुआ.
    उसे देखते ही पिता ने गले लगाकर बधाई दी और उसके हाथ में कागज में लिपटी एक वस्तु थमाई और कहा लो ये तुम्हारा गिफ्ट।
    पुत्र ने बहुत ही अनमने दिल से गिफ्ट हाथ में लिया और अपने कमरे में चला गया। मन ही मन पिता को कोसते हुए उसने कागज खोल कर देखा उसमे सोने के कवर में रामायण दिखी ये देखकर अपने पिता पर बहुत गुस्सा आया.. 
    लेकिन उसने अपने गुस्से को संयमित कर एक चिठ्ठी अपने पिता के नाम लिखी की पिता जी आपने मेरी कार गिफ्ट न देकर ये रामायण दी शायद इसके पीछे आपका कोई अच्छा राज छिपा होगा.. लेकिन मै यह घर छोड़ कर जा रहा हु और तबतक वापस नही आऊंगा जब तक मै बहुत पैसा ना कमा लू।और चिठ्ठी रामायण के साथ पिता के कमरे में रख कर घर छोड कर चला गया।
    समय बीतता गया..
    पुत्र होशयार था होनहार था जल्दी ही बहुत धनवान बन गया.   शादी की और शान से अपना जीवन जीने लगा कभी कभी उसे अपने पिता की याद आ जाती तो उसकी चाहत पर पिता से गिफ्ट ना पाने की खीज हावी हो जाती,  वो सोचता माँ के जाने के बाद मेरे सिवा उनका कौन था इतना पैसा रहने के बाद भी मेरी छोटीसी इच्छा भी पूरी नहीं की.
    यह सोचकर वो पिता से मिलने से कतराता था।
    एक  दिन उसे अपने पिता की बहुत याद आने लगी.
    उसने सोचा क्या छोटी सी बात को लेकर अपने पिता से नाराज हुआ अच्छा नहीं हुआ.
    ये सोचकर उसने पिता को फोन लगाया बहुत दिनों बाद पिता से बात कर रहा हु.
    ये सोच धड़कते दिल से रिसीवर थामे खड़ा रहा.
    तभी सामने से पिता के नौकर ने फ़ोन उठाया और उसे बताया की मालिक तो दस दिन पहले स्वर्ग सिधार गए और अंत तक तुम्हे याद करते रहे और रोते हुए चल बसे.
    जाते जाते कह गए की मेरे बेटे का फोन आया तो उसे कहना की आकर अपना व्यवसाय सम्भाल ले.
    तुम्हारा कोई पता नही होनेसे तुम्हे सूचना नहीं दे पाये।
    यह जानकर पुत्र को गहरा दुःख हुआ और दुखी मन से अपने पिता के घर रवाना हुआ.
    घर पहुच कर पिता के कमरे जाकर उनकी तस्वीर के सामने रोते हुए रुंधे गले से उसने पिता का दिया हुआ गिफ्ट रामायण को उठाकर माथे पर लगाया और उसे खोलकर देखा.
    पहले पन्ने पर पिता द्वारा लिखे वाक्य पढ़ा जिसमे लिखा था "मेरे प्यारे पुत्र,  तुम दिन दुनी रात चौगुनी तरक्की करो और साथ ही साथ मै तुम्हे कुछ अच्छे संस्कार दे पाऊं..  ये सोचकर ये रामायण दे रहा हु",
    पढ़ते वक्त उस रामायण से एक लिफाफा सरक कर नीचे गिरा जिसमे उसी गाड़ी की चाबी और नगद भुगतान वाला बिल रखा हुआ था।
    ये देखकर उस पुत्र को बहुत दुख हुआ और धड़ाम से जमींन पर गिर रोने लगा।
    हम हमारा मनचाहा उपहार हमारी पैकिंग में ना पाकर उसे अनजाने में खो देते है।
    पिता तो ठीक है.
    इश्वर भी हमे अपार गिफ्ट देते है,  लेकिन हम अज्ञानी हमारे मनपसन्द पैकिंग में ना देखकर, पा कर भी खो देते है।
    हमे अपने माता पिता के प्रेम से दिये ऐसेे अनगिनत उपहारों का प्रेम का सम्मान करना चाहिए और उनका धन्यवाद करना चाहिये।
    मेरी बात अगर आपके हृदय को छुई हो तो इस मेसेज को आप चाहो तो अपनों को शेयर करो.
    हो सकता है और कोई पुत्र ऐसे ही अपने पिता के गिफ्ट से वंचित ना रहे उनके प्रेम से वंचित ना रहे।।
  • ये बुज़ुर्ग की नहीं, पूरे समाज की मौत है!

    ये बुज़ुर्ग की नहीं, पूरे समाज की मौत है!

    ये बुज़ुर्ग की नहीं, पूरे समाज की मौत है!
    मुम्बई से जुड़ी एक ख़बर आज पढ़ी। बाद में टीवी चैनल्स पर भी उससे जुड़ी एक-आध रिपोर्ट देखी। एक शख्स डेढ़ साल बाद जब अमेरिका से घर लौटा तो देखा कि उसका फ्लैट अंदर से बंद है। उसकी मां उस घर में अकेली रह रहीं थी। जब बार-बार घंटी बजाने पर भी दरवाज़ा नहीं खोला, तो दरवाज़ा तोड़कर वो अंदर घुसा। उसने देखा कि फ्लैट के अंदर उसकी मां की जगह उसका कंकाल पड़ा है। पिता की मौत चार साल पहले ही हो चुकी थी।
    आख़िरी बार डेढ़ साल पहले उसने मां से बात की तो उन्होंने कहा था कि वो अकेले नहीं रह सकतीं। वो बहुत डिप्रेशन में है। वो वृद्धाश्रम चली जाएगी। बावजूद इसके बेटे पर इसका कोई असर नहीं हुआ। अप्रेल 2016 में फोन पर हुई उस आख़िरी बातचीत के बाद लड़के की कभी मां से बात नहीं हुई। तकरीबन डेढ़ साल बाद जब आज वो घर आया तो उसे मां की जगह उसका कंकाल मिला। पुलिस पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है और तभी वो बता पाएगी कि महिला ने आत्महत्या की या उसकी हत्या हुई। मैंने इस ख़बर को एक नहीं, कई बार पढ़ा और बहुत सी ऐसी बातें हैं जो मेरे दिमाग में कौंध रही हैं।
    महिला ने जब डेढ़ साल पहले अपने बेटे को फोन पर कहा होगा कि बेटे मैं बहुत अकेली हूं। ये अकेलापन मुझे खाए जा रहा है। मेरा दम घुट रहा है और बेटे ने यहां-वहां की कुछ बात कर फोन रख दिया उसके बाद क्या हुआ होगा?
    बेटे ने अगली बार मां को कॉल किया होगा। मां ने फोन नहीं उठाया, तो क्या बेटे को फिक्र नहीं हुई? क्या उसके मन में ये ख़्याल नहीं आया कि मां आख़िरी बात इतनी दुखी लग रही थी। अकेली भी है, उसे कुछ हो तो नहीं गया?
    एक बार ऐसा नहीं लगा, मगर दो दिन बाद फिर फोन किया, तब भी उन्होंने नहीं उठाया या फोन नहीं लगा, उसके बाद भी वो इत्मीनान से कैसे रहा?  क्या मुम्बई शहर में जिसका कि वो रहने वाला था, उसका एक भी ऐसा रिश्तेदार-दोस्त नहीं था जिसे वो कह सके कि पता करो क्या हुआ...मां से बात नहीं हो रही।
    उस सोसाइटी में जहां वो महिला इतने सालों से रह रही थी, वहां भी किसी ने डेढ़ साल तक उसके गायब होने को नोट नहीं किया। बेटे और सोसाइटी के अलावा पूरे शहर मे, पूरी रिश्तेदारी में एक भी ऐसा इंसान नहीं था जिसने उस महिला से सम्पर्क करने की कोशिश की हो और बात न होने पर वो घबराया हो।
    मैंने सुना है कि उत्तराखंड में कुछ साल पहले चारधाम यात्रा के दौरान आई बाढ़ में मारे गए लोगों के परिजन आज भी उन पहाड़ियों में अपने परिजनों के अवशेष ढूंढते हैं। उन्हें पता है कि वो ज़िंदा नहीं है। बस इस उम्मीद में वहां भटकते हैं कि शायद उनसे जुड़ी कोई निशानी मिल जाए। उनका कोई अवेशष मिल जाए और वो कायदे से उनका संस्कार कर पाएं। सिर्फ इसलिए ताकि वो अवशेष भी यूं ही कहीं लावारिस न पड़े रहें। इतने सालों बाद भी बहुत से ऐसे लोग सिर्फ इस उम्मीद में वहां भटक रहे हैं।
    मगर यहां एक बुज़ुर्ग औरत अपने घर में डेढ़ साल पहले मर गई। उसे किसी को ढूंढना भी नहीं था। वो उसी पते पर थी जहां उसे होना थी मगर फिर भी डेढ़ साल तक उसके मरने का किसी को पता नहीं लगा। उसे किसी ने ढूंढा नहीं। बगल में रहने वाले पड़ोसियों तक ने नहीं। जिन्हें वो दिन में एक-आध बार दिख भी जाती होंगी। दरवाज़ा बंद देखकर किसी ने सोचा भी नहीं कि क्या हुआ...वो महिला कहां गईं!
    ये अहसास कि दुनिया में मेरा कोई नहीं है। किसी को मेरी ज़रूरत नहीं है। मैं कुछ भी होने की वजह नहीं हूं। इससे बड़ी बदनसीबी किसी भी इंसान के लिए और कुछ भी नहीं। और यहां तो बात एक मां की थी। वो मां जिसे गर्भावस्था में अगर डॉक्टर ये भी बता दे कि आप उस पॉजिशन में मत सोइएगा, वरना बच्चे को तकलीफ होगी, तो वो सारी रात करवट नहीं बदलती। मां बन जाने पर जिसके लिए बच्चे का अच्छे से रोटी खाना दुनिया की सबसे बड़ी खुशी होता है।
    अब्बास ताबिश एक मशहूर शेर है, एक मुद्दत से मेरी माँ नहीं सोई 'ताबिश' मैनें इक बार कहा था मुझे डर लगता है और एक मां ने जब कहा कि उसे डर लग रहा है, वो अकेले नहीं रह सकती, तो वो बेटा डेढ़ साल तक इतनी रातें सो कैसे गया। वो समाज, वो रिश्तेदार, वो सोसाइटी वाले...वो सब कैसे अपनी-अपनी ज़िंदगियों में इतने व्यस्त थे कि साल तक एक महिला का गायब होना ही नहीं जान पाए। फ्लैट में कंकाल ज़रूर बुज़ुर्ग औरत का मिला है मगर मौत शायद पूरे समाज की हुई है। और इसी समाज का हिस्सा होने पर मैं भी शर्मिंदा हूं। 
    :( :( :( :(
  • Which Metal Is best for Cooking

    Which Metal Is best for Cooking

    कौन सी धातु के बर्तन में भोजन करने से क्या क्या लाभ और हानि होती है

                             *सोना*

    सोना एक गर्म धातु है। सोने से बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते है और साथ साथ सोना आँखों की रौशनी बढ़ता है।

                            *चाँदी*

    चाँदी एक ठंडी धातु है, जो शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है। शरीर को शांत रखती है  इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है, आँखों स्वस्थ रहती है, आँखों की रौशनी बढती है और इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित रहता है।

                               *कांसा*

    काँसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में  शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख बढ़ाती है। लेकिन काँसे के बर्तन में खट्टी चीजे नहीं परोसनी चाहिए खट्टी चीजे इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती है जो नुकसान देती है। कांसे के बर्तन में खाना बनाने से केवल ३ प्रतिशत ही पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                             *तांबा*

    तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है, रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है, तांबे का पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है इसलिए इस पात्र में रखा पानी स्वास्थ्य के लिए उत्तम होता है. तांबे के बर्तन में दूध नहीं पीना चाहिए इससे शरीर को नुकसान होता है।

                            *पीतल*

    पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती। पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल ७ प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं।

                             *लोहा*

    लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से  शरीर  की  शक्ति बढती है, लोहतत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ता है। लोहा कई रोग को खत्म करता है, पांडू रोग मिटाता है, शरीर में सूजन और  पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को दूर रखता है. लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है। लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है।

                             *स्टील*

    स्टील के बर्तन नुक्सान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते है और ना ही अम्ल से. इसलिए नुक्सान नहीं होता है. इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुँचता तो नुक्सान भी  नहीं पहुँचता।

                          *एलुमिनियम*

    एल्युमिनिय बोक्साईट का बना होता है। इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुक्सान होता है। यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए। इससे हड्डियां कमजोर होती है. मानसिक बीमारियाँ होती है, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है। उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियाँ होती है। एलुमिनियम के प्रेशर कूकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं।

                               *मिट्टी*

    मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते हैं । इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए। भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है। दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त हैं मिट्टी के बर्तन। मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे १०० प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं। और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है।
    || सर्वेसंतुसुखिनः सर्वेभवन्तुनिरामयः कल्याणमस्तु ||
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  • इण्डिया V/S भारत V/S अमेरिका

    इण्डिया V/S भारत V/S अमेरिका

    पिछले दिनों एक मित्र से मिलना हुआ अमरीका में रह रहा हैं । छुट्टियों में घर आया हुआ था ।
    बातों बातों में बताने लगा कि
    *अमरीका में बहुत गरीब मजदूर वर्ग McDonald , KFC और Pizza Hut का burger पिज़्ज़ा और chicken खाता है ।*
    अमरीका और Europe के रईस धनाढ्य करोड़पति लोग *ताज़ी सब्जियों उबाल के खाते हैं ,*
    ताज़े गुंधे आटे की गर्मा गर्म bread/रोटी खाना बहुत बड़ी luxury है ।

    ताज़े फलों और सब्जियों का Salad वहां नसीब वालों को नसीब होता है ........
    ताजी हरी पत्तेदार सब्जियां अमीर लोग ही Afford कर पाते हैं ।
    गरीब लोग Packaged food खाते हैं ।
    हफ़्ते / महीने भर का Ration अपने तहखानों में रखे Freezer में रख लेते हैं और उसी को Micro Wave Oven में गर्म कर कर के खाते रहते हैं ।
    आजकल भारतीय शहरों के नव धनाढ्य लोग या फिर ये कहे इंडिया के लोग
    *अपने बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाते हैं ।*
    उधर अमरीका में कोई ठीक ठाक सा मिडल किलास आदमी McDonalds में अपने बच्चे का हैप्पी बड्डे मनाने की सोच भी नही सकता .........
    लोग क्या सोचेंगे ?
    इतने बुरे दिन आ गए ? *इतनी गरीबी आ गयी कि अब बच्चों का हैप्पी बड्डे मकडोनल में मनाना पड़ रहा है ?*
    भारत का गरीब से गरीब आदमी भी ताजी सब्जी , ताजी उबली हुई दाल भात खाता है .........
    ताजा खीरा ककड़ी खाता है।
    अब यहां गुलामी की मानसिकता हमारे दिल दिमाग़ पे किस कदर तारी है ये इस से समझ लीजिये कि
    *Europe अमरीका हमारी तरह ताज़ा भोजन खाने को तरस रहा है और हम हैं कि Fridge में रखा बासी packaged food खाने को तरस रहे हैं ।*
    अमरीकियों की Luxury जो हमें सहज उपलब्ध है हम उसे भूल *उनकी दरिद्रता अपनाने के लिए मरे जाते हैं ।*
    ताज़े फल सब्जी खाने हो तो फसल चक्र के हिसाब से दाम घटते बढ़ते रहते है ।
    इसके विपरीत डिब्बाबंद Packaged Food के दाम साल भर स्थिर रहते है बल्कि समय के साथ सस्ते होते जाते हैं ।
    जस जस Expiry date नज़दीक आती जाती है , डिब्बाबंद भोजन सस्ता होता जाता है और एक दिन वो भी आ जाता है कि Store के बाहर रख दिया जाता है ,
    *लो भाई ले जाओ , मुफ्त में।*
    हर रात 11 बजे Stores के बाहर सैकड़ों लोग इंतज़ार करते हैं .......
    *Expiry date वाले भोजन का।*
    125 करोड़ लोगों की विशाल जनसंख्या का हमारा देश आज तक किसी तरह ताज़ी फल सब्जी भोजन ही खाता आया है ।
    *ताज़े भोजन की एक तमीज़ तहज़ीब होती है । ताज़े भोजन की उपलब्धता का एक चक्र होता है । ताज़ा भोजन समय के साथ महंगा सस्ता होता रहता है।*
    आजकल समाचार माध्यमों में टमाटर और हरी सब्जियों के बढ़ते दामों के लेकर जो चिहाड़ मची है
    *वो एक गुलाम कौम का विलाप है ........*
    जो अपनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक विरासत को भूल अपनी गुलामी का विलाप कर रही है ।
    *भारत बहुत तेज़ी से ताजे भोजन की समृद्धि को त्याग डिब्बेबन्द भोजन की दरिद्रता की ओर अग्रसर है।*
    जरा सोचिये हम क्या कर रहे है।

    भारत के अंदर भी दो भारत है.
    इंडिया एंड भारत 
    इंडिया वो जो वेस्ट के पीछे आंखे बंद कर भाग रहा है.
    और भारत वो जहा आज भी भारतीय संस्कृति जीवित है .
  • Ways to enrich Education in Economics @ Cafe'

    Ways to enrich Education in Economics @ Cafe'


  • 1 जुलाई से* बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम

    1 जुलाई से* बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम

    ★★★★★★★★★★★★★★★
    🔴🌼🌿🦋

    *1 जुलाई से* बदल जाएंगे रेलवे के ये 10 नियम....

    *१*) वेटिंग लिस्ट का झंझट खत्म हो जाएगा। रेलवे की ओर से चलाई जाने वाली सुविधा ट्रेनों में यात्रियों को कन्फर्म टिकट की सुविधा दी जाएगी।
    *२*) 1 जुलाई से तत्काल टिकट कैंसिल करने पर 50 फीसदी राशी वापस किए जाएंगे।
    *३*) 1 जुलाई से तत्काल टिकट के नियमों में बदलाव हुआ है। सुबह 10 से 11 बजे तक एसी कोच के लिए टिकट बुकिंग होगी जबकि 11 से 12 बजे तक स्लीपर कोच की बुकिंग होगी।
    *४*) 1 जुलाई से राजधानी और शताब्दी ट्रेनों में पेपरलेस टिकटिंग की सुविधा शुरु हो रही हैं। इस सुविधा के बाद शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में पेपर वाली टिकट नहीं मिलेगी, बल्कि आपके मोबाईल पर टिकट भेजा जाएगा।
    *५*) जल्द ही रेलवे अगल-अगल भाषाओं में टिकटिंग की सुविधा शुरु होने जा रही हैं। अभी तक रेलवे में हिंदी और अंग्रेजी में टिकट मिलती है, लेकिन नई वेबसाइट के बाद अब अलग-अगल भाषाओं में टिकट की बुकिंग की जा सकेगी।
    *६*) रेलवे में टिकट के लिए हमेशा से मारामारी होती रहती है। ऐसे में 1 जुलाई से शताब्दी और राजधानी ट्रेनों में कोचों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
    *७*) भीड़भाड़ के दिनों में रेलगाड़ी में बेहतर सुविधा देने के लिए वैकल्पित रेलगाड़ी समायोजन प्रणाली, सुविधा ट्रेन शुरु करने और महत्वपूर्ण ट्रेनों की डुप्लीकेट गाड़ी चलाने की योजना है।
    *८*) रेल मंत्रालय ने 1 जुलाई से राजधानी, शताब्दी, दुरंतो और मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों के तर्ज पर सुविधा ट्रेन चलाई जाएगी।
    *९*) 1 जुलाई से रेलवे प्रीमियम ट्रेनों को पूरी तरह से बंद करने जा रहा है।
    *१०*) सुविधा ट्रेनों में टिकट वापसी पर 50 फीसदी किराए की वापसी होगी। इसके अलावा एसी-2 पर 100 रुपए, एसी-3 पर 90 रुपए, स्लीपर पर 60 रुपए प्रति यात्री कटेंगे।
    जन हित में जारी

    🦋 *ट्रेन में बेफिक्र होकर सोएं*, डेस्टिनेशन स्टेशन आने पर जगा देगा रेलवे....

    आपको 139 पर फोन कर वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा अपने पीएनआर पर एक्टिवेट करवाना होगी l

    ट्रेन में रात के समय सफर करने वाले यात्रियों को डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले रेलवे ने वेकअप कॉल-डेस्टिनेशन अलर्ट सुविधा शुरू कर दी है।

    ➡ *क्या है डेस्टिनेशन अलर्ट*

    > इस सुविधा को *डेस्टिनेशन अलर्ट* नाम दिया गया है।

    > सुविधा को एक्टिवेट करने पर डेस्टिनेशन स्टेशन आने से पहले ही मोबाइल पर अलार्म बजेगा।

    > सुविधा को एक्टिवेट करने के लिए
    *अलर्ट* टाइप करने के बाद
    *पीएनआर नंबर* टाइप करना होगा
    और 139 पर सेंड करना होगा।

    > 139 पर *कॉल करना होगा*।
    कॉल करने के बाद भाषा चुने
    और फिर 7 डायल करें।
    *7 डायल करने के बाद पीएनआर नंबर डायल करना होगा*। इसके बाद यह सेवा एक्टिवेट हो जाएगी

    > इस सुविधा को *वेकअप कॉल* नाम दिया गया है।

    ➡ रिसीव होने तक बजेगी मोबाइल की घंटी

    🔺इस सेवा को एक्टिवेट करने पर स्टेशन आने से पहले मोबाइल की घंटी बजेगी।
    यह घंटी तब-तक बजती रहेगी, जब तक आप फोन रिसीव नहीं करेंगे। फोन रिसीव होने पर यात्री को सूचित किया जाएगा कि स्टेशन आने वाला ह

  • Item wise List for GST

    Item wise List for GST

    *GST*  *1जुलाई से लागू*

    0% GST Rates Items –*
    गेहूं, चावल, दूसरे अनाज, आटा, मैदा, बेसन, चूड़ा, मूड़ी (मुरमुरे), खोई, ब्रेड, गुड़, दूध, दही, लस्सी, खुला पनीर, अंडे, मीट-मछली, शहद, ताजी फल-सब्जियां, प्रसाद, नमक, सेंधा/काला नमक, कुमकुम, बिंदी, सिंदूर, चूड़ियां, पान के पत्ते, गर्भनिरोधक, स्टांप पेपर, कोर्ट के कागजात, डाक विभाग के पोस्टकार्ड/लिफाफे, किताबें, स्लेट-पेंसिल, चॉक, समाचार पत्र-पत्रिकाएं, मैप, एटलस, ग्लोब, हैंडलूम, मिट्टी के बर्तन, खेती में इस्तेमाल होने वाले औजार, बीज, बिना ब्रांड के ऑर्गेनिक खाद, सभी तरह के गर्भनिरोधक, ब्लड, सुनने की मशीन।

    *5% GST Rates Items –*

    ब्रांडेड अनाज, ब्रांडेड आटा, ब्रांडेड शहद, चीनी, चाय, कॉफी, मिठाइयां, *खाद्य तेल,* स्किम्ड मिल्क पाउडर, बच्चों के मिल्क फूड, रस्क, पिज्जा ब्रेड, टोस्ट ब्रेड, पेस्ट्री मिक्स, प्रोसेस्ड/फ्रोजन फल-सब्जियां, पैकिंग वाला पनीर, ड्राई फिश, न्यूजप्रिंट, ब्रोशर, लीफलेट, राशन का केरोसिन, रसोई गैस, झाडू, क्रीम, *मसाले,* जूस, साबूदाना, जड़ी-बूटी, लौंग, दालचीनी, जायफल, जीवन रक्षक दवाएं, स्टेंट, ब्लड वैक्सीन, हेपेटाइटिस डायग्नोसिस किट, ड्रग फॉर्मूलेशन, क्रच, व्हीलचेयर, ट्रायसाइकिल, लाइफबोट, हैंडपंप और उसके पार्ट्स, सोलर वाटर हीटर, रिन्यूएबल एनर्जी डिवाइस, ईंट, मिट्टी के टाइल्स, साइकिल-रिक्शा के टायर, कोयला, लिग्नाइट, कोक, कोल गैस, सभी ओर (अयस्क) और कंसेंट्रेट, राशन का केरोसिन, रसोई गैस।

    *12% GST Rates Items –

    नमकीन, भुजिया, *बटर ऑयल, घी*, मोबाइल फोन, ड्राई फ्रूट, फ्रूट और वेजिटेबल जूस, सोया मिल्क जूस और दूध युक्त ड्रिंक्स, प्रोसेस्ड/फ्रोजन मीट-मछली, अगरबत्ती, कैंडल, आयुर्वेदिक-यूनानी-सिद्धा-होम्यो दवाएं, गॉज, बैंडेज, प्लास्टर, ऑर्थोपेडिक उपकरण, टूथ पाउडर, सिलाई मशीन और इसकी सुई, बायो गैस, एक्सरसाइज बुक, क्राफ्ट पेपर, पेपर बॉक्स, बच्चों की ड्रॉइंग और कलर बुक, प्रिंटेड कार्ड, चश्मे का लेंस, पेंसिल शार्पनर, छुरी, कॉयर मैट्रेस, एलईडी लाइट, किचन और टॉयलेट के सेरेमिक आइटम, स्टील, तांबे और एल्यूमीनियम के बर्तन, इलेक्ट्रिक वाहन, साइकिल और पार्ट्स, खेल के सामान, खिलौने वाली साइकिल, कार और स्कूटर, आर्ट वर्क, मार्बल/ग्रेनाइट ब्लॉक, छाता, वाकिंग स्टिक, फ्लाईएश की ईंटें, कंघी, पेंसिल, क्रेयॉन।

    *18% GST Rates Items –*

    हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉर्न फ्लेक्स, पेस्ट्री, केक, जैम-जेली, आइसक्रीम, इंस्टैंट फूड, शुगर कन्फेक्शनरी, फूड मिक्स, सॉफ्ट ड्रिंक्स कंसेंट्रेट, डायबेटिक फूड, निकोटिन गम, मिनरल वॉटर, हेयर ऑयल, साबुन, टूथपेस्ट, कॉयर मैट्रेस, कॉटन पिलो, रजिस्टर, अकाउंट बुक, नोटबुक, इरेजर, फाउंटेन पेन, नैपकिन, टिश्यू पेपर, टॉयलेट पेपर, कैमरा, स्पीकर, प्लास्टिक प्रोडक्ट, हेलमेट, कैन, पाइप, शीट, कीटनाशक, रिफ्रैक्टरी सीमेंट, बायोडीजल, प्लास्टिक के ट्यूब, पाइप और घरेलू सामान, सेरेमिक-पोर्सिलेन-चाइना से बनी घरेलू चीजें, कांच की बोतल-जार-बर्तन, स्टील के ट-बार-एंगल-ट्यूब-पाइप-नट-बोल्ट, एलपीजी स्टोव, इलेक्ट्रिक मोटर और जेनरेटर, ऑप्टिकल फाइबर, चश्मे का फ्रेम, गॉगल्स, विकलांगों की कार।

    *28% GST Rates Items –*

    कस्टर्ड पाउडर, इंस्टैंट कॉफी, चॉकलेट, परफ्यूम, शैंपू, ब्यूटी या मेकअप के सामान, डियोड्रेंट, हेयर डाइ/क्रीम, पाउडर, स्किन केयर प्रोडक्ट, सनस्क्रीन लोशन, मैनिक्योर/पैडीक्योर प्रोडक्ट, शेविंग क्रीम, रेजर, आफ्टरशेव, लिक्विड सोप, डिटरजेंट, एल्युमीनियम फ्वायल, टीवी, फ्रिज, वाशिंग मशीन, वैक्यूम क्लीनर, डिश वाशर, इलेक्ट्रिक हीटर, इलेक्ट्रिक हॉट प्लेट, प्रिंटर, फोटो कॉपी और फैक्स मशीन, लेदर प्रोडक्ट, विग, घड़ियां, वीडियो गेम कंसोल, सीमेंट, पेंट-वार्निश, पुट्टी, प्लाई बोर्ड, मार्बल/ग्रेनाइट (ब्लॉक नहीं), प्लास्टर, माइका, स्टील पाइप, टाइल्स और सेरामिक्स प्रोडक्ट, प्लास्टिक की फ्लोर कवरिंग और बाथ फिटिंग्स, कार-बस-ट्रक के ट्यूब-टायर, लैंप, लाइट फिटिंग्स, एल्युमिनियम के डोर-विंडो फ्रेम, इनसुलेटेड वायर-केबल।ै।

  • GST info in Short

    GST info in Short

    *20 लाख तक के टर्नओवर वालों को जीएसटी  भरने की आवश्यकता नहीं है* वह आराम  से अपना धंधा बिना किसी चिंता के कर सकते हैं

    *और दूसरा यह की जिनका टर्नओवर 75,00,000(75 लाख) तक है उन्हें केवल एक परसेंट जीएसटी भरना है* ना तो उन्हें महीने के चार रिटर्न भरना है और ना ही साल के 37 रिटर्न भरना है *उन्हें केवल तिमाही एवं सालाना रिटर्न ही भरना होगा* लेकिन इसके लिए आपको कंपोजीशन स्कीम लेना होगी

    *देश के लगभग 65 प्रतिशत व्यापारी इन दो बिंदुओं के अंतर्गत आते हैं* यदि जीएसटी को समझा जाए तो छोटे और मझोले व्यापारियों के लिए इससे बढ़िया कुछ हो ही नहीं सकता अतः सभी व्यापारी भाइयों से निवेदन है कि बिना सोचे समझे जीएसटी के बारे में अफवाहें फैलाना बंद करें
    यह भी *अफवाह फैलाई जा रही है की जीएसटी में गिरफ़्तारी के प्रावधान है लेकिन यह केवल कमिश्नर रंक वाले अफसर  को ही है और वह भी केवल उन्हीं को जिन का टर्नओवर 100 करोड़ या उससे अधिक है*
    अतः *छोटे व्यापारियों के लिए तो जीएसटी वरदान है* आवश्यकता है तो बस इसे समझने की तो आइए व्यापारी हित में एवं देश हित में जीएसटी को  समझे समझाएं और अपनाएं!
    *एक देश* - *एक कर* =जीएसटी

  • A Great Inspirational Story By Amithabh Bachhan

    A Great Inspirational Story By Amithabh Bachhan

    *Amitabh Bacchan* says..."At the peak of my career, I was once travelling by plane. The passenger next to me was elderly gentleman dressed in a simple shirt
    and pants. He appeared to be
    middle class, and well educated.
    Other passengers  perhaps recognising who I was, but this gentleman appeared to be
    unconcerned of my presence... He was reading his paper, looking out of the window, and when tea was served, he sipped it quietly.
    Trying to strike a conversation with him I smiled. The man courteously smiled back and said 'Hello'.
    We got talking and I brought up the subject of cinema and movies and asked, 'Do you watch films?'
    The man replied, 'Oh, very few.
    I did see one many years ago.'
    I mentioned that I worked in the movie industry.
    The man replied.." oh, that’s nice. What do you do?' 
    I replied, 'I am an actor '
    The man nodded, 'Oh,  that's
    wonderful!'  And that was it... 
    When we landed, I held out
    my hand and said, " It was good to travel with you. By the way, my name is Amitabh Bacchan !'
    The man shook my hand
    and smiled, "Thank you... nice to have met you..I am *J. R. D. Tata!"*
    I learned on.that day that no matter how big you think you. are, there is always someone *bigger than you*.

    *Be humble, it costs nothing.*

    🍂____________________________🍂
              *B E H A V I O R*
                 Is always *Greater*
              Than *_Knowledge,_*
             Because In Life There
               Are Many Situations
                Where *Knowledge*
               Fails But *_Behaviour_*
                      Can Handle
                 *E V E R Y T H I N G.*
    🍂____________________________🍂

  • UGC & AICTE To Blend Into One Body Named HEERA |

    UGC & AICTE To Blend Into One Body Named HEERA |

    Here’s All you Need to Know About This Big Reformation

    Prince Sharma
    8 JUN 2017

    The Government of India is going to make a huge transformation in its Education Department under the guidance of Prime Minister Narendra Modi. The University Grants Commission (UGC) and All India Council for Technical Education(AICTE) are going to get dissolved and now there will now be one sole education director of India that will be known as the Higher Education Empowerment Regulation Agency or “HEERA”.

    The replacement process of both the boards UGC and AICTE will not be initiated immediately apparently and bringing the two pieces of diamond to form one big solitaire (HEERA) will take some time.

    The “HEERA” Legistation

    The bringing up HEERA was decided by the experts during the UPA era in the the month of March but was never considered to be put into application. But the Government has recently decided to work on their decision to melt UGC and AICTE and form HEERA to act as a single regulator and bring synergy among all the educational institutions of the nation. The government of India is working at a handsome pace to bring HEERA to life and is taking the HEERA legislation sincerely. The premiere “think tank” of the NITI Aayog and the Human Resource Development Ministry is working over this new law as well.

    The Pros of HEERA:

    The HEERA reform will prove to be the most cleanest and most vast reform in the education systemThe jurisdiction overlapping will be eliminatedIt will unfasten the irrelevant regulatory provisionsReplacing multiple regulatory authorities with a streamlined oneThe HEERA will form a proper institutional autonomyThe grey areas will be eliminatedWill put an end to the “Inspector Raj”, andHarassment that UGC is highly associated with and blamed forWill put the education practices in sync with the global ones.

    Application of HEERA

    It will take the top officials time to form the Higher Education Empowerment Regulation Agency, HEERA but to mark the beginning of the reformation the government will make amendments in the already existing rules and regulations. The HEERA promises to make the Indian education system as efficient as the global ones in the coming future. So it seems like it will take some more time to carve out this piece of HEERA but once it will get the right cuts and shape it will emit such striking ray of lights that will diminish all the darkness of poor educational system of our nation.

    Source: EconomicTimes

  • How to live each day at it fullest

    How to live each day at it fullest

    The “Every Day Mindset” is a simple, yet extremely powerful, way in which to live your life. What is this mindset? Put simply, it is a mindset that remembers that this day you are currently living will only ever happen once, and it therefore encourages you to make the most of it.

    Enjoying life is often thought to be a mindset, the result of reflection, action and gratitude. And while most of us lack sufficient free time to escape to some mountaintop temple to follow our bliss, the best way to find happiness is to make practical, everyday changes.

  • Thought of the Day

    Thought of the Day

  • Stay Humble Work HArd , Be Kind

    Stay Humble Work HArd , Be Kind

    One day two men went to church to pray.
    The first man was a shallow, uninformed evangelical. Everything about him shouted of squishy theology. He didn’t know or use big theological words. He watched Christian TV and thought it was deep. He bought books from the inspirational section of the bookstore. He attended one of those megachurches where the sermons are short and the worship leaders look like American Idol contestants.
    The second man who went to pray was different. He was a Christian of theological depth and substance–this was obvious by the heavy study Bible he carried with him. He only read books by long-dead theologians. He subscribed to the podcasts of all the solid, gospel-centered expository preachers who didn’t tell funny stories or make jokes in their sermons. He felt cheated if a sermon was less than an hour long.
    This second man began to pray. He said, “God, I thank you that I am not like other people–doctrinally ignorant, theologically clueless, superficial in their saccharine-sweet evangelicalism. I thank you that you have made me what I am: true to good doctrine, uncompromising on teaching, orthodox to the core.”
    But the first man would not even look up to heaven. Instead he beat his breast and said, “God, have mercy on me, a sinner.”
  • ABRAHAM LINCOLN'S Letter to his SON'S TEACHER

    ABRAHAM LINCOLN'S Letter to his SON'S TEACHER

    ABRAHAM LINCOLN'S Letter to his
    SON'S TEACHER
    He will have to learn, I know that all men are not true but teach him also that for every scoundrel there is a hero, teach him for every enemy there is a friend.
    It will take time I know but teach him if you can, that a dollar earned is far more value than five found...
    Teach him if you can, the WONDERS OF BOOKS, in the school, teach him it is far more honorable to fail than to cheat...
    Teach him to have faith in his own idea, even if everyone tells him they are wrong...
    Try to give my son the strength not to follow the crowd when everyone is getting on the bandwagon.
    Teach him to listen to all men but teach him to filter all he hears on a screen of truth and take only the good that comes through
    Teach him there is no shame in tears.
    Teach him to beware of too much sweetness.
    Teach him to sell his brawn and brain to the highest bigger but never to put a price tag on his heart and soul...
    Treat him gently but do not cuddle him because only the test of fire makes fine steel...
    Teach him always to have sublime faith in himself because then he will have sublime faith in mankind.
    This is a big order but see what you can do,
    He is such a fine fellow,my son!
    Abraham Lincoln
  • Thought of the Day

    Thought of the Day

  • Thought of the day

    Thought of the day

  • PM मोदी का एैसा भयंकर स्वागत आपने पहले कभी नहीं देखा होगा , तारीफ़ यह कि मोदी जी को हँसी नहीं आई

    PM मोदी का एैसा भयंकर स्वागत आपने पहले कभी नहीं देखा होगा , तारीफ़ यह कि मोदी जी को हँसी नहीं आई

    https://youtu.be/qvlod7jqevo
  • Thought of The Day

    Thought of The Day

    Your Daily Dose of Motivation

  • Focus On Dream

    Focus On Dream




  • Pic of the Day

    Pic of the Day



  • 5 INSPIRATIONS FROM PIYUSH PANDEY, AD GURU

    5 INSPIRATIONS FROM PIYUSH PANDEY, AD GURU


                                                  5 Inspirations from Piyush Pandey, Ad Guru |

     The undisputed king of Indian advertising industry Mr Piyush Pandey has always been an inspiration to the young Indians. Having created the most number of award winning advertisements, he has had a roller coaster ride in his career so far, until he finally settled in an area that he loved. Let’s have a look at some of the interesting and inspiring facts about Piyush that makes him the most desired person in the ad arena by the corporates.

     Influence 
    The kind of influence which Piyush has created in his industry is unmatched to any other person. He has been rated as the most influential person in the Indian advertising Industry consecutively for the last eight years. The dedication and passion he puts in his work daily is something we must try to imitate.

    Love what you do
    Piyush started his career as a cricketer. He has played Ranji trophy for Rajasthan and then became a tea tester on the advice of one of his very close senior who also worked for the same company. The job wasn’t exciting unless Piyush found his true calling in being in the creative department of an advertising agency.

    Connect with people 
    The fact that his ads are so famous and better than his competitors is because he can connect well with the masses and this ability he feels will keep an individual ahead in the race. As a part of his job, Mr Pandey had to carry out extensive research on consumer behaviours and this helped him design some of the most creative ads.

    Patience
    When Piyush joined O&M, he asked his supervisor as to when can he become the creative head of the country? Patience was the answer he got. Piyush learnt the lesson quickly. Instead of focussing on becoming the creative head, he focussed on delivering quality work. His priorities were set and refined and eventually he became the national creative head of O&M.

     Designed Modi’s election campaign. The surprising clean sweep by BJP in the last general elections was somewhere credited to Piyush. He was appointed to design the election campaign for Narendra Modi. Prasoon joshi was also with him in this and the lines like “acche din ayenge” were the work of this duo.
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